देशभर में अब तक 15,057 जन औषधि केन्द्र खोले गए

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत 28 फरवरी 2025 तक देशभर में कुल 15,057 जन औषधि केन्द्र (जेएके) खोले जा चुके हैं। केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने यह जानकारी राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।अनुप्रिया पटेल ने बताया कि जेएके में दवाओं की उपलब्धता में कमी एक प्रणालीगत समस्या नहीं है। जेएके में सुचारू आपूर्ति और उत्पादों की उपलब्धता के लिए, एक शुरू से अंत तक एक आईटी-समर्थ आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली स्थापित की गई है। इसमें गुरुग्राम स्थित एक केन्द्रीय गोदाम और बेंगलुरु, गुवाहाटी, चेन्नई एवं सूरत स्थित चार क्षेत्रीय गोदाम शामिल हैं। आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली को मजबूत करने हेतु देशभर में 36 वितरक नियुक्त किए गए हैं। उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु 400 तेजी से बिकने वाले (फास्ट-मूविंग) उत्पादों की उपलब्धता की नियमित रूप से निगरानी की जाती है। इसके अलावा, 200 दवाओं के लिए न्यूनतम भंडारण (स्टॉकिंग) अनिवार्यता लागू की गई है, जिसमें योजना से संबंधित उत्पादों की टोकरी में 100 सबसे ज्यादा बिकने वाली दवाएं और बाजार में 100 तेजी से बिकने वाली दवाएं शामिल हैं।भंडारण (स्टॉकिंग) अनिवार्यता के तहत, जन औषधि केन्द्र के मालिक अपने द्वारा किए गए उक्त 200 दवाओं के भंडारण के आधार पर प्रोत्साहन (इंसेंटिव) का दावा करने के पात्र हो जाते हैं। इस प्रकार, गोदामों व वितरकों की प्रणाली तथा निगरानी प्रणाली के माध्यम से जेएके को दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है और अधिक मांग वाले उत्पादों का भंडारण करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु जेएके को प्रोत्साहन (इंसेंटिव) प्रदान किए जाते हैं। जन औषधि योजना दिव्यांगजनों सहित युवाओं के लिए आत्मविश्वास का एक बड़ा साधन बन रही है। सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रयोगशालाओं में जेनरिक दवाओं के परीक्षण से लेकर उसके अंतिम वितरण के लिए हजारों युवा कार्यरत हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र परियोजना का शुभारंभ वर्ष 2008 में सभी को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया था। वर्ष 2015 के बाद से इस योजना में और गति आयी है।

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